
—गाय के गोबर की चिप मोबाइल के रेडिएशन को कम करती है
—गो मूत्र से गोनायल बनाकर वायरस और कीटाणु मुक्त घर करें
वाराणसी (Varanasi) ,12 मार्च . गौ सेविका नीलम सिंह नेगी नीलकंठ ने कहा कि गऊ पालन भारतीय अर्थव्यवस्था का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है. एक गाय पूरे परिवार को स्वस्थ भी रखती है और आर्थिक रूप से सशक्त बनाती है. बदलते दौर में जब गऊ पालन कम हो गया तो पूरा परिवार दवाओं के गिरफ्त में आ गया और लोग भुखमरी के शिकार होते चले गए. देसी गाय के पालन से पूरा समाज सुखी हो सकता है.
नीलम सिंह रविवार (Sunday) को विशाल भारत संस्थान की पहल पर लमही सुभाष भवन में आयोजित गऊ आधारित आर्थिक विकास विषयक महिलाओं की प्रशिक्षण कार्यशाला को सम्बोधित कर रही थी. महिलाओं को गाय के गोबर और गोमूत्र से बनाये जाने वाले उत्पादों का प्रशिक्षण देने के बाद नीलम ने बताया कि 1 ग्राम गाय का गोबर मोबाइल के रेडिएशन को दूर कर सकता है. बहुत आसानी से गाय के गोबर से चिप बनाकर मोबाइल में चिपकाया जाए तो निकलने वाले रेडिएशन से मानसिक तनाव और अन्य बीमारियों से बचा जा सकता है. घर मे फिनायल की जगह गोनाइल का प्रयोग करें, तो घर कीटाणु मुक्त हो सकता है. गोनायल गाय के मूत्र से बनाया जाता है.
कार्यशाला में गऊ आधारित उत्पादों को बनाने का प्रशिक्षण दे रहे संजय सिंह बब्बू ने कहा कि गाय के गोबर का कंडा भोजन बनाने के लिए उपयुक्त है, कंडे की राख बर्तन धुलने के काम आती है. गोबर से बने दीपक, अगरबत्ती भी बहुत उपयोगी है. मच्छर भगाने के लिए उपले और नीम की पत्ती का प्रयोग कर सकते है. इससे कोई कुप्रभाव नहीं पड़ता है. एक गाय पूरे परिवार को आत्मनिर्भर बना सकती है.
संस्थान की राष्ट्रीय महासचिव अर्चना भारतवंशी ने कहा कि श्रीराम आश्रम में गऊ माता मंदिर स्थापित है. निराश्रित महिलाओं को हम सामान उपलब्ध कराएंगे, ताकि वे गाय के गोबर से उत्पाद बनाकर आत्मनिर्भर बन सकें. मोबाइल के लिए चिप तो जल्द ही उपलब्ध करा दिया जाएगा. कार्यशाला में नाजनीन अंसारी, डा0 मृदुला जायसवाल, रीतीका सिंह, नगीना, नाजिया, पार्वती देवी, मैना देवी, प्रभावती, सरोज, रीता, कलावती, रमता देवी आदि ने भाग लिया.
/श्रीधर/