
जयपुर (jaipur), 14 मार्च . पुलवामा हमले के शहीदों की वीरांगनाओ के मामले को लेकर भाजपा लगातार प्रदेश की कांग्रेस सरकार पर हमलावर है. सड़क से लेकर सदन में कांग्रेस पर सवाल उठा रही है. अब भरतपुर (Bharatpur) के नगर से भाजपा की पूर्व विधायक अनीता सिंह के दखल के बाद अब भरतपुर (Bharatpur) के सुंदरावली गांव के शहीद जीतराम की वीरांगना सुंदरी देवी ने अपनी देवर विक्रम को सरकारी नौकरी देने की मांग छोड़ दी है. अब सुंदरी देवी सिर्फ नगर के राजकीय महाविद्यालय का नाम शहीद जीतराम के नाम पर करवाना चाहती हैं.
बड़ी बात यह है कि देवर को नौकरी देने की जिस मांग को लेकर सुंदरी देवी ने 10 दिन तक जयपुर (jaipur) में आंदोलन किया. नगर के अस्पताल में पुलिस (Police) पहरे में रहीं. खुद को पुलिस (Police) द्वारा नजरबंद करने और भाजपा सांसद (Member of parliament) रंजीता कोली से पुलिस (Police) पहरे से मुक्ति दिलाने की मांग कर रही थीं. वीरांगना के देवर विक्रम और नगर की पूर्व भाजपा विधायक अनीता सिंह ने सोमवार (Monday) को सुन्दरावली गांव के ग्रामीणों के साथ मिलकर रेंज आईजी गौरव श्रीवास्तव को ज्ञापन सौंपा. जिसमें सिर्फ कॉलेज का नाम शहीद के नाम पर करने की मांग लिखी हुई थी. जिस पर ग्रामीणों सहित सरपंच और वीरांगना और उसके देवर विक्रम के हस्ताक्षर हैं. भाजपा की पूर्व विधायक ने कांग्रेस की मुसीबत कम कर दी है. पूर्व विधायक अनीता सिंह के इस कदम से जहां प्रशासन ने राहत की सांस ली, वहीं मुख्यमंत्री (Chief Minister) गहलोत के उस बयान को भी बल मिल गया कि पुलवामा हमले की वीरांगनाओं को बहला-फुसलाकर आंदोलन कराया जा रहा था.
पूर्व विधायक अनीता सिंह के इस कदम से भाजपा में चर्चा है कि आखिर अपनी ही पार्टी के खिलाफ पूर्व विधायक अनीता सिंह ने क्यों कदम उठाया? अब यह खबर भी निकल कर सामने आ रही है कि पूर्व विधायक अनीता सिंह के इस कदम से सांसद (Member of parliament) रंजीता कोली गहरी नाराज बताई हैं. सांसद (Member of parliament) कोली ने कल शाम ही भाजपा के केंद्रीय नेतत्व और प्रदेश नेतत्व को इसकी शिकायत की है. क्योंकि, सांसद (Member of parliament) रंजीता कोली वीरांगना को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मिलवाने वाली थी इसके लिए उन्होंने हाल ही में रक्षा मंत्री से मुलाकात की थी और फोन पर वीरांगना सुंदरी को भरोसा दिलाया था. साथ ही इससे पहले रंजीता कोली वीरांगना सुंदरी देवी को नगर अस्पताल से उसके गांव सुन्दरावली एम्बुलेंस में बैठकर छोड़कर आई थीं. इस घटनाक्रम में वह चोटिल भी हुई.
इसकी शिकायत उन्होंने लोकसभा (Lok Sabha) अध्य्क्ष से की थी विशेष अधिकार हनन के तहत एक दिन पहले वीरांगना कह रही थी, उसके परिवार को पुलिस (Police) के पहरे में रखा हुआ है, वहीं अब वह यह कह रही हैं की, वह नजरबंद नहीं हैं, और उन्हें कोई परेशानी नहीं है. भाजपा एक बड़े प्रदर्शन की तैयारी में जुटी है जिसमें भाजपाई वीरांगना के देवर को नौकरी नही देने के मामले को भी उठाने वाले थे लेकिन बीजेपी की ही पूर्व विधायक की दखल के बाद अब यह मांग ही समाप्त हो गई.
/रोहित