तापमान के बढ़ने से बदल रहा मौसम का मिजाज


वैश्विक तापमान के बढ़ने से बदल रहा मौसम का मिजाज

-भारत के पांच राज्यों में अधिक तापमान होने से फसलों पर बढ़ रहा खतरा

कानपुर, 12 मार्च . इस साल फरवरी महीने में ही गर्मी का अहसास होने लगा. ज्यादातर राज्यों में फिलहात तेज धूप और पसीना छुड़ाने वाली गर्मी पड़ रही है. आमतौर पर मार्च के बाद ही गर्मी शुरू होती थी. मौसम में हुए इस बदलाव से भारत के पांच राज्यों की फसलों पर खतरा बढ़ गया है. मौसम के इस बदले मिजाज के पीछे वैश्विक तापमान कारण बन रहा है.

चन्द्रशेखर आजाद कृषि प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम वैज्ञानिक डॉ. एस एन सुनील पाण्डेय ने बताया कि पहले फरवरी में ही गर्मी आ गई, अब प्री-मॉनसून सीजन की बारिश, आंधी और ओलों का सीजन जल्दी शुरू हो गया है. इसकी वजह से भारत के पांच राज्यों की फसलों पर खतरा बढ़ गया है. मौसम में हो रहा यह परिवर्तन सीधे तौर पर बढ़ते वैश्विक तापमान से जुड़ा है. मार्च के पहले ही सप्ताह में प्री-मॉनसूनी गतिविधियां शुरू हो गई हैं. बारिश और आंधी आ रही है. मार्च में छह से आठ तारीख तक बेमौसम बारिश की वजह से राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र (Maharashtra) में फसलें बर्बाद हुई हैं. तेज हवाओं और ओलों की वजह से फसलें जमीन पर गिर गई हैं.

अब एक बार फिर से देश के कई हिस्सों में प्री मॉनसून सीजन की बारिश, आंधी, ओले और बिजली की घटनाएं होंगी. इसकी वजह से फसलों को काफी नुकसान हो सकता है. 13 से 18 मार्च तक कई प्रदेशों में मौसम खराब होगा. मैदानी इलाकों, दक्षिणी मध्य प्रदेश, विदर्भ, मराठवाड़ा, तेलंगाना आंध्र प्रदेश (Andra Pradesh)और उत्तरी कर्नाटक (Karnataka) पर इसका असर पड़ेगा. मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र (Maharashtra) में 15 से 16 मार्च के बीच ओले भी गिरेंगे और यह काफी अधिक होंगे. मौसम विज्ञानी के अनुसार इस साल देश में सर्दियों के दिनों में तापमान बढ़ा रहा है. दिसम्बर और फरवरी 1901 के बाद सबसे गर्म रहे हैं.

कृषि मौसम वैज्ञानिक डॉ. एस एन सुनील पाण्डेय का कहना है कि इस साल यह गतिविधियां जल्दी शुरू हो गई हैं. आमतौर पर प्री मॉनसून सीजन की गतिविधियां मार्च मध्य के बाद शुरू होती हैं. वहीं इस सीजन में होने वाली गतिविधियां आमतौर पर सुबह व शाम के समय होती हैं. इस बार यह काफी लंबी हो रही है. अधिक तपमान की वजह से इस साल कई मौसमी सिस्टम सक्रिय हो रहे हैं.

डाॅ. पांडेय के अनुसार बढ़ते वैश्विक तापमान और जलवायु परिवर्तन की वजह से मौसमी घटनाओं की तीव्रता बढ़ रही है. वहीं, सामान्य तौर पर हर तीन से पांच साल बाद होने वाली एल नीनो घटना इस साल भारत के मौसम को प्रभावित कर सकती है, जिससे कृषि क्षेत्र प्रभावित हो सकता है.

सिंह