सहरसा मे एम्स निर्माण की उम्मीद जगी : विनोद कुमार झा

सहरसा-विनोद झा

सहरसा,09 मार्च . बिहार (Bihar) की तुच्छ और स्वार्थ लोलुप राजनीति के कारण जनता की सहुलियत एवं स्वास्थ्य संबंधित मौलिक अधिकार से वंचित रखा जा रहा है.इसका प्रत्यक्ष उदाहरण एम्स निर्माण कार्य को लेकर चल रहा है.कोशी प्रमंडलीय मुख्यालय सहरसा मे सारी अहर्ता पूर्ण रहने के बावजूद इसे दरकिनार कर दरभंगा मे खोलने की जिद मामले को सहरसा एम्स निर्माण संघर्ष समिति न्यायालय में याचिका दायर कर गुहार लगाई है.

ज्ञात हो कि डीएमसीएच दरभंगा में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान सुपर स्पेशियलिटी महा- अस्पताल निर्माण हेतु बिहार (Bihar) केबिनेट में पास हुआ. जिस आधार पर करोड़ों रुपए मुहैया कर डायरेक्टर पोस्ट पर नियुक्ति भी हो हुई.लेकिन इसे खारिज भी कर दिया गया. मुख्यमंत्री (Chief Minister) नीतीश कुमार दरभंगा के जिद्द में अशोक पेपर मिल बहेरा दरभंगा में घोषणा हुई. लेकिन पुनः इसे भी खारिज कर दिया गया.अब जब एम्स पर सहरसा का दावा माननीय उच्च न्यायालय में किया गया.

माननीय न्यायालय ने सही उचित पाकर जनहित और न्यायहित में संज्ञान भी ले लिया. आनन फानन में बिहार (Bihar) कैबिनेट ने शोभन प्रखंड बहादुरपुर जिला दरभंगा के सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में 200 एकङ मानदंड के नियम से कोसों दूर मात्र 150 एकड़ भूमि देने का घोषणा की गई. जबकि सहरसा में 2017 में हीं एम्स मानक के अनुसार 217एकङ 74 डिसमिल भूमि को बिना स्थल निरीक्षण किए वगैर यह घोषणा जान बूझकर गलत निर्णय कर लिया गया है.

शोभन गांव के भी भूमि को केन्द्रीय एम्स निर्माण संगठन एम्स निर्माण के मानदंड को पूरा नहीं करने की स्थिति में खारिज ही करेगी.हम सहरसा वासियों को माननीय न्यायालय पर पूरा भरोसा है. ऐतिहासिक एम्स सहरसा आंदोलन को विफल करने की साजिश कामयाब नहीं होगा. अंतोगत्वा एम्स सहरसा में ही बनेगा.