हमारी वाणी से ही दशा और दिशा तय होती है, हम मांग नहीं करते: निश्चलानंद महाराज

हमारी वाणी से ही दशा और दिशा तय होती है, हम मांग नहीं करते: निश्चलानंद महाराज

ग्वालियर (Gwalior), 12 मार्च . मैं जो भी बोलता हूं वह गोविंद की कृपा से ही बोलता हूं. हमारी वाणी से ही कार्य की दशा और दिशा तय होती है. हमारी वाणी ही घटना का रूप धारण करती है. हम शंकराचार्य के पद पर हैं, हम कभी मांग नहीं करते हैं, मांग तो कमजोर लोग करते हैं. जब हम शंकराचार्य नहीं थे तब भी हमारी शासन तंत्र से कोई मांग नहीं थी. भारत हमेशा से ही विश्व गुरु रहा है. ऐसे में उसे विश्व गुरु बनाने की बात कहने का कोई अर्थ नहीं है. आज भी भारत संपूर्ण विश्व को राह दिखा रहा है.

यह उद्गार मौजूदा हालातों और राजनीति से जुड़े विषय पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए गोवर्धन मठ पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद जी महाराज ने रविवार (Sunday) को जलालपुर स्थित तोमर फार्म हाउस पर व्यक्त किए.

स्वामी निश्चलानंद जी महाराज ने कहा कि आरक्षण की आवश्यकता नहीं है. यह पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह की देन है. स्वामी जी ने कहा, मैंने पहले भी कहा था और आज भी कह रहा हूं, आरक्षण से प्रतिभा और प्रगति अवरूद्ध होती है, यह प्रायोगिक नहीं है. इससे प्रगति की हानि होती है, परतंत्रता आती है और प्रतिशोध की भावना जाग्रत होती है.

स्वामी जी ने कहा कि वर्ण व्यवस्था को लेकर भ्रम का वातावरण निर्मित किया जा रहा है जो सही नहीं हैं. स्वामी जी ने एक सवाल के जवाब में कहा कि सपा नेता मुलायम सिंह को पद्म सम्मान देना गलत निर्णय था. जिस व्यक्ति ने जिन राम भक्तों पर गोली चलवाई हो उसे यह सम्मान कैसे दिया जा सकता है. स्वामी जी ने कहा कि हिन्दू-मुस्लिम को लेकर माहौल बनाया जा रहा है. सच यह है कि देश में हम सभी सुरक्षित हैं. राजनीति का अर्थ राजधर्म का पालन करना है और सभी नीतियां अर्थनीति, शिक्षा नीति आदि इसी में समाहित हैं.

स्वामी जी ने बताया कि विष्णु ही सनातन धर्म (सदा बना रहेने वाला) के स्वामी हैं और सनातन धर्म ही संसार का मूल है. इसी धर्म में विज्ञान समाहित है. स्वामी जी ने कहा कि मंत्रीमंडल में चार शिक्षाविद् ब्राह्मण, सुरक्षा की दृष्टि से आठ छत्रीय, वाणिज्य के लिए 21 वैश्य और सेवा व कुटीर उद्योग के लिए तीन शूद्र होना चाहिए. तभी राजतंत्र के अंतर्गत लोकतंत्र बनता है.