
नई दिल्ली (New Delhi), 13 मार्च . केंद्र सरकार (Central Government)ने सोमवार (Monday) को लोकसभा (Lok Sabha) में कहा कि बाल और किशोर श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 के तहत पिछले तीन वर्षों में 1,861 मामले दर्ज किए गए, जिसमें 2019 में 772, 2020 में 476 और 2021 में 613 मामले दर्ज किए गए हैं.
यह जानकारी श्रम और रोजगार राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने लोकसभा (Lok Sabha) में एक लिखित उत्तर के माध्यम से भाजपा सांसदों विजय बघेल और उपेंद्र सिंह रावत द्वारा देश में दर्ज किए गए बाल श्रम के मामलों की संख्या पर पूछे गए एक प्रश्न का उत्तर देते हुए दिया.
रामेश्वर तेली ने बताया कि 2019 में 314, 2020 में 147 और 2021 में 224 के साथ कुल 685 मामलों के साथ तेलंगाना में सबसे अधिक मामले सामने आए. जबकि दूसरे नंबर पर कर्नाटक (Karnataka) 2019 में 83, 2020 में 54 और 2021 में 58 के साथ कुल 195 मामले सामने आये. इसी क्रम में तीसरे नवंबर असम का है. यहां 2019 में 68, 2020 में 40 और 2021 में 78 के साथ कुल 186 मामले दर्ज हुए.
वहीं अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh)और त्रिपुरा में सबसे कम मामले दर्ज किए गए. इसके बाद छत्तीसगढ़, मेघालय और दमन और दीव और अन्य में 2-2 मामले थे.
ऐसे मामलों पर अंकुश लगाने के लिए सरकार द्वारा की गई पहलों और नीतियों की संख्या पर कई सवालों के जवाब में कहा कि सरकार बाल श्रम को खत्म करने के लिए एक बहुआयामी रणनीति अपना रही है और व्यापक उपाय किए हैं, जिसमें विधायी उपाय, पुनर्वास रणनीति, मुफ्त शिक्षा का अधिकार प्रदान करना और सामान्य सामाजिक-आर्थिक विकास शामिल हैं.