समलैंगिक शादी को कानूनी मान्यता का मामला, सुप्रीम कोर्ट ने पांच जजों की संविधान बेंच को किया रेफर

फाइल फोटो

मामले की अगली सुनवाई 18 अप्रैल को होगी

नई दिल्ली (New Delhi), 13 मार्च . सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने का मामला पांच जजों की संविधान बेंच को रेफर कर दिया है. चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने 18 अप्रैल को अगली सुनवाई का आदेश दिया.

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस ने कहा कि लेस्बियन या गे कपल का बच्चा कोई जरूरी नहीं है कि लेस्बियन या गे ही होगा. सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) में दाखिल हलफनामे में केंद्र सरकार (Central Government)ने कहा है कि समलैंगिक विवाह प्रकृति के खिलाफ है. केंद्र सरकार (Central Government)ने हलफनामे में कहा है कि भारतीय दंड संहिता की धारा 377 को अपराध की श्रेणी से बाहर करने से समलैंगिक विवाह के लिए मान्यता मांगने का दावा मजबूत नहीं हो जाता है. हालांकि केंद्र सरकार (Central Government)ने कहा है कि मान्यता न मिलने के बावजूद इस तरह के संबंध गैरकानूनी नहीं हैं. केंद्र सरकार (Central Government)ने कहा कि इतिहास में विपरीत सेक्स के लोगों की शादी को ही आदर्श के रूप में देखा गया है. इसके अलावा किसी अन्य प्रकार की शादी को मान्यता नहीं दी जा सकती है. ऐसा राज्य के अस्तित्व के लिए जरूरी है.

को सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने दिल्ली हाई कोर्ट में समलैंगिक विवाह को मान्यता देने की मांग वाली याचिकाओं में से एक याचिकाकर्ता अभिजीत अय्यर मित्रा की याचिका को भी सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) में ट्रांसफर कर दिया था. उसके पहले छह जनवरी को सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) ने विभिन्न हाई कोर्ट में लंबित याचिकाओं को सुनवाई के लिए अपने पास ट्रांसफर कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) अब सभी याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई करेगा.

दरअसल एक समलैंगिक जोड़े ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) में याचिका दायर कर समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग की है. पिछले 10 साल से एक साथ रहने वाले हैदराबाद (Hyderabad) के सुप्रियो चक्रवर्ती और अभय डांग की याचिका में कहा गया है कि समलैंगिक विवाह को भी स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत लाया जाना चाहिए. कोरोना की दूसरी लहर के दौरान दोनों इससे संक्रमित हो गए. अब दोनों ने साथ रहने की नौवीं सालगिरह पर शादी करने का फैसला लिया है.

याचिका में स्पेशल मैरिज एक्ट को असंवैधानिक करार देने की मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि स्पेशल मैरिज एक्ट समान लिंग वाले जोड़ों और विपरीत लिंग वाले जोड़ों में भेदभाव करता है. याचिका में नवतेज सिंह जोहार के मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) के फैसले का हवाला दिया गया है, जिसमें एलजीबीटी समुदाय के लोगों को बराबरी, गरिमा और निजता के अधिकार दिए गए हैं. ऐसे में एलजीबीटी समुदाय के लोगों को अपनी मर्जी के व्यक्ति से शादी करने का अधिकार मिलना चाहिए.

/ संजय