लखनऊ, 11 नवंबर . अयोध्या शोध संस्थान को अंतर्राष्ट्रीय दर्जा प्रदान करने का निर्णय योगी सरकार की कैबिनेट में हुआ है. इसके तहत इस संस्थान को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अयोध्या, रामायण और भारतीय वैदिक शोध संस्थान के रूप में विकसित किया जाएगा. इसके माध्यम से दुनिया को अयोध्या और अयोध्या को दुनिया से जोड़ने का प्रयास किया जाएगा.
पूरी दुनिया में जहां भी रामायण या रामलीला का मंचन होता है उन देशों को सांस्कृतिक एकता के सूत्र से जोड़ने का प्रयास किया जाएगा. इसके साथ ही इस कला से जुड़े लोगों को रोजगार के साधन भी उपलब्ध होंगे.
उल्लेखनीय है कि संस्कृति विभाग के अधीन 18 अगस्त 1986 से संचालित अयोध्या शोध संस्थान को अन्तर्राष्ट्रीय स्वरुप प्रदान करते हुए अन्तर्राष्ट्रीय अयोध्या रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान के रूप में विकसित किया जाना है. कैबिनेट के एक नोट में बताया गया कि अयोध्या में अंतर्राष्ट्रीय अयोध्या रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान की स्थापना से संपूर्ण विश्व में होने वाली रामकथाओं से जुड़े साहित्य पर गंभीरता से अध्ययन किया जाएगा एवं शोध के माध्यम से इसमें छुपे रहस्यों को समझने का प्रयास किया जाएगा.
माना जाता है कि दुनिया भर में जो राम कथा का प्रचलित साहित्य है, वो अलग-अलग ग्रंथों और विद्वानों द्वारा संकलित किया गया है. उसमें ऐसा बहुत कुछ है जिसमें शोध की आवश्यकता है, ताकि राम और रामायण से जुड़े रहस्यों को और गंभीरता से सुलझाने का प्रयास किया जा सके ताकि उसे सत्य की कसौटी पर परखते राम कथाओं को और उनसे जुड़े साहित्य को और अधिक समृद्ध किया जा सके.
यही नहीं, वैश्विक स्तर पर रामलीला के मंचन के दृष्टिगत सांस्कृतिक आदान-प्रदान के क्रम में उन देशों की रामलीला का मंचन अयोध्या में तथा अयोध्या की सांस्कृतिक विरासत का प्रचार-प्रसार संपूर्ण विश्व में किया जाएगा. श्री राम के आदर्शों एवं व्यक्तित्व पर आधारित रामलीला विश्व के लगभग 40 देशों में आयोजित की जाती है. इस तरह इन 40 देशों के अंतर्राष्ट्रीय रामलीला मंचन से जुड़े हुए कलाकारों को एक-दूसरे की संस्कृति से परिचित होने तथा उन्हें अंतर्राष्ट्रीय स्तर के मंच प्रदान किए जाने का कार्य किया जाएगा.
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