
जयपुर (jaipur), 14 मार्च . राजस्थान (Rajasthan) में बाल और किशोर श्रम के खिलाफ दर्ज मामलों में कमी आई है. बाल और किशोर श्रम (प्रतिषेध और विनियमन अधिनियम 1986) के अंतर्गत वर्ष 2019 में जहां 48 तथा वर्ष 2020 में 30 मामले दर्ज किए गए वहीं वर्ष 2021 में मात्र 19 मामले ही दर्ज किए गए हैं.
श्रम एवं रोजगार राज्यमंत्री रामेश्वर तेली ने लोकसभा (Lok Sabha) में सांसद (Member of parliament) विजय बघेल और उपेंद्र सिंह रावत द्वारा पूछे गए प्रश्न के लिखित जवाब में बाल श्रम से संबंधित यह आंकड़े प्रस्तुत किए. श्रम एवं रोजगार राज्यमंत्री द्वारा प्रस्तुत वर्ष 2019, 2020 और 2021 के 26 राज्यों के आंकड़ों के अनुसार इन तीन वर्षों में केवल असम, गुजरात (Gujarat), हरियाणा (Haryana) , कर्नाटक (Karnataka), मध्य प्रदेश, केरल (Kerala), महाराष्ट्र, उड़ीसा, तमिलनाडु (Tamil Nadu), तेलंगाना, चंडीगढ़ (Chandigarh) और दिल्ली में बाल श्रम से संबंधित मामलों में बढ़ोतरी दर्ज की गई है.
सदन में बाल और किशोर श्रम से संबंधित राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि केंद्र सरकार (Central Government)बाल श्रम का उन्मूलन करने के लिए बहुआयामी रणनीति अपना रही है और इसके लिए व्यापक उपाय किए हैं. जिसमें विधायी उपाय, पुनर्वास संबंधित कार्य नीति, निशुल्क शिक्षा का अधिकार प्रदान करना और सामान्य सामाजिक-आर्थिक विकास शामिल है. उन्होंने बताया कि बाल और किशोर श्रम प्रतिषेध और विनियमन अधिनियम 1986 का अधिनियमन किया गया है. अधिनियम में अन्य बातों के साथ-साथ किसी भी व्यवसाय या प्रक्रिया में 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों के कार्य करने या रोजगार पर पूर्ण प्रतिबंध और खतरनाक व्यवस्थाओं और प्रक्रियाओं में 14 से 18 आयु वर्ग में किशोरों के नियोजन के लिए निषेध को शामिल किया गया है. इसमें अधिनियम के उल्लंघन पर नियोक्ताओं के लिए कड़ी सजा का भी प्रावधान है और अपराध को संज्ञेय बनाया गया है.
उन्होंने बताया कि बाल और किशोर श्रम (प्रतिषेध और विनियम) नियमावली 1988 तैयार की गई. इन नियमों में अन्य बातों के साथ-साथ जिला नोडल अधिकारी और जिला मजिस्ट्रेट की अध्यक्षता में टास्क फोर्स के लिए जिला मजिस्ट्रेट के अध्यक्षता में यह सुनिश्चित करने का प्रावधान मौजूद है कि अधिनियम के ऊपर उपबंधों को उचित तरीके से लागू किया जा सके. उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के एक प्रकाशन ‘भारत में अपराध’ के अनुसार देश में बाल और किशोर श्रम प्रतिषेध और विनियमन अधिनियम 1986 के तहत 26 राज्यों में कैलेंडर वर्ष 2019, 2020 और 2021 के दौरान क्रमश: 772, 476 और 613 मामले दर्ज किए गए थे.