सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के 66वें स्थापनोत्सव पर एक माह तक चलेंगे कार्यक्रम

सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के 66वें स्थापनोत्सव पर एक माह तक चलेंगे कार्यक्रम

देश के विशिष्ट क्षेत्रों के विशिष्ट जनों की होगी सहभागिता : कुलपति

वाराणसी (Varanasi) ,14 मार्च . सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के 66वें स्थापनोत्सव, जी-20 सम्मेलन एवं काशी तमिल संगमम के अवसर पर विश्वविद्यालय में अनवरत एक माह तक विविध कार्यक्रम का आयोजन किया जायेगा. मंगलवार (Tuesday) को ये जानकारी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. हरेराम त्रिपाठी ने दी.

कुलपति प्रो. त्रिपाठी ने बताया कि माह पर्यंत चलने वाले कार्यक्रमों में 16, 17 एवं 18 मार्च को कार्यशाला, 23 मार्च को स्थापनोत्सव पर्व पर शक्ति समाराधना, 24 मार्च को राष्ट्रीय कवि सम्मेलन, 25 मार्च को प्रसिद्ध साहित्य कला से अष्टावधान तथा 27 मार्च को महा कवि कालिदास के प्रसिद्ध नाटक अभिज्ञान शाकुन्तलम्ं पर देश के प्रसिद्ध नाटक अभिनेताओं के द्वारा नाट्यशाला में मंचन किया जायेगा. इस तरह आगे भी कार्यक्रम आयोजन करने की तैयारी चल रही है.

बताया कि सभी कार्यक्रम विश्वविद्यालय के आईकेएस केन्द्र, संस्कृत भारती, उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) संस्कृत संस्थान आदि के संयुक्त तत्वावधान में होगा. कार्यक्रमों में राष्ट्रीय एवं अन्तर राष्ट्रीय स्तर के विशिष्टजन भाग लेंगे. कुलपति ने बताया कि कार्यक्रमों में पूर्व कुलपति पद्म प्रो. अभिराज राजेन्द्र मिश्र, प्रदेश के संस्कृति एवं पर्यटन मंत्री राजवीर सिंह, संस्कृत भारती के राष्ट्रीय संगठन मंत्री दिनेश कामत, राष्ट्रीय मंत्री श्रीशदेव पुजारी, पूर्व कुलपति गोप बन्धु मिश्र, डॉ उमा महेश्वर आदि भी सहभागिता करेंगे.

परिसर स्थित ऐतिहासिक नाट्यशाला में नाट्य मंचन

विश्वविद्यालय परिसर में स्थित प्राचीन नाट्यशाला में लगभग ढाई दशक के पश्चात महाकवि कालिदास द्वारा रचित/निर्मित नाटक अभिज्ञान शाकुन्तल का मंचन 27 मार्च को होगा. इसमें देश के नामी गिरामी कलाकार भाग लेंगे.

विश्वविद्यालय की स्थापना एवं परिचय

विश्वविद्यालय मूलतः ‘शासकीय संस्कृत महाविद्यालय’ था. जिसकी स्थापना सन् 1791 में की गई थी. वर्ष 1894 में सरस्वती भवन ग्रंथालय नामक प्रसिद्ध भवन का निर्माण हुआ. जिसमें हजारों पाण्डुलिपियां संगृहीत हैं. चैत्र नवरात्रि शुक्ल पक्ष में द्वितीया तिथि, 22 मार्च 1958 को उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के तत्कालीन मुख्यमंत्री (Chief Minister) डॉ सम्पूर्णानन्द के विशेष प्रयत्न से इसे विश्वविद्यालय का स्तर प्रदान किया गया. उस समय इसका नाम ‘वाराणसेय संस्कृत विश्वविद्यालय’ था. 1974 में इसका नाम बदलकर ‘सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय’ रख दिया गया.

/श्रीधर