
हरिद्वार (Haridwar) , 14 मार्च . अंतरराष्ट्रीय कथावाचक और जूना अखाड़ा के वरिष्ठ महामंडलेश्वर स्वामी उमाकांतानंद सरस्वती महाराज ने कहा है कि राम भक्त हनुमान कि अपने स्वामी के प्रति कृतज्ञता और समर्पण से सीख लेते हुए हमें अपने जीवन को सार्थक बनाना चाहिए. व्यक्ति यदि समर्पण भाव से कार्य करता है तो उसका जीवन स्वयं ही सरल हो जाता है.
भारतमाता पुरम स्थित शाश्वतम आश्रम में श्रीराम कथा के तीसरे दिन श्रद्धालु भक्तों को कथा का रसपान कराते हुए स्वामी उमाकांतानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि प्रभु श्रीराम की लीला अपरंपार है. वह प्रत्येक भारतवासी के हृदय में विराजमान है. मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम जिन्होंने शबरी के झूठे बेर खाकर समाज को समरसता का संदेश दिया. वह प्रभु जन-जन के आराध्य हैं.
स्वामी उमाकांतानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि रामराज्य की कल्पना के साथ भारत विश्व गुरु बनने की ओर अग्रसर है. प्रभु श्रीराम ने एक आदर्श पति, एक आज्ञाकारी पुत्र और प्रेम एवं समर्पण की भावना से परिपूर्ण भाई के रूप में अपने जीवन के माध्यम से समाज को एकता का संदेश दिया. हमें उनके जीवन से प्रेरणा लेकर अपने परिवार के प्रति समर्पण की भावना को रखना चाहिए और प्रत्येक क्षण अपने धर्म के संरक्षण संवर्धन और राष्ट्र की उन्नति के लिए अपनी सहभागिता को सुनिश्चित करना चाहिए.
/ रजनीकांत