
कवि सुभाष राय के कविता संग्रह ’मूर्तियों के जंगल में’ का कैफी आजमी एकेडमी में हुआ लोकार्पण
लखनऊ (Lucknow), 12 मार्च . चर्चित कवि एवं वरिष्ठ पत्रकार सुभाष राय के दूसरे कविता संग्रह ’मूर्तियों के जंगल में’ का आज यानि रविवार (Sunday) को लोकार्पण हुआ. पेपर मिल काॅलोनी स्थित कैफी आजमी एकेडमी में आयोजित समारोह में उन्होंने लोकार्पण के बाद अपनी कविताएं सुनाई.
समारोह की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ कवि नरेश सक्सेना ने कहा कि उन्होंने कविता की दुनिया में लंबी छलांग लगाई है. उन्होंने कहा कि कविता की पंक्तियां आदमी के जीवन को बदल देती हैं. अगर फूल खिलता है तो उसकी सुगंध जरूर आती है. हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अब समय आ गया है बात को कविताओं के माध्यम से कहने की बजाय गद्य में दो लाइनों में कह दें. अब सीधे मैदान में आने की जरूरत है.
वरिष्ठ कवि मदन कश्यप ने गहरे राजनीतिक-आर्थिक संकटों से जूझती कविताओं के लिए सुभाष राय को बधाई दी. उन्होंने कहा कि उनकी कविताओं में प्रतिरोध के कई स्वर हैं, जिनमें दार्शनिक, करुणा, राजनीतिक व सामाजिक स्वर प्रमुख हैं. यह संग्रह सुभाष राय की रचनात्मकता का विस्फोट है.
वरिष्ठ कवि श्रीप्रकाश शुक्ल ने सुभाष राय को दमकते कवि के रूप में चिन्हित किया. उन्होंने संवेदना की मुखरता और भाषाई प्रखरता के कवि के रूप में उन्हें दर्ज किया. उन्होंने माना कि सुभाष जी गहरे आवेक्षण के कवि हैं.
कवि-आलोचक नलिन रंजन सिंह ने कहा कि सुभाष राय की 67 कविताओं के चार खंड किए जा सकते हैं, जिनमें कुछ कविताएं आग पर, कुछ कोरोना काल पर, कुछ राजनीतिक चेतना पर और कुछ विविध रंगों पर है. उन्होंने माना कि संग्रह में बहुत आग है जो हमें ऊष्मा देती है. उन्होंने कहा कि सुभाष राय की कविताओं ने परम्परा के दायरे को भी रेखांकित किया.
कवि-आलोचक अनिल त्रिपाठी ने कवि राय को साहस, स्वप्न, रिश्तों और आकांक्षा का कवि माना. उन्होंने कहा कि जब हर तरफ चुप्पियों का माहौल है, ऐसे में सुभाष राय भरपूर बोलते हैं.
युवा आलोचक विंध्याचल यादव ने सुभाष राय को अपने समय का महत्वपूर्ण कवि घोषित करते हुए कहा कि सुभाष राय अभिव्यक्ति के खतरे उठाने में माहिर हैं. उनकी कविताओं में कबीरी रंग मौजूद है.
/शैलेंद्र