काठमांडू . नेपाल की आंतरिक राजनीति में चीन के बढ़ते दखल के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने कहा कि हमें अपनी आजादी पसंद है. उन्होंने कहा कि दूसरों के आदेशों को मानना हमारे लिए संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि नेपाल अपने मामलों में स्वतंत्र होकर फैसला करता है. नेपाल के प्रधानमंत्री मोदी ने यह कह कर एक ओर जहां चीन को सख्त संदेश दिया है, वहीं दूसरी ओर भारत की ओर दोस्ती का हाथ बढ़ाया है.
प्रधानमंत्री ओली ने एक भारतीय टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में कहा कि नेपाल के भारत के साथ रिश्ते बहुत अच्छे हैं. माना जा रहा है कि अपने इस बयान से राजनीतिक संकट में घिरे ओली ने कई निशाने साधने की कोशिश की है. इस बयान से पीएम ओली ने जनता को संदेश दिया है कि उनकी पहली प्राथमिकता नेपाल है. पिछले दिनों उनके भारत विरोधी बयानों की वजह से नेपाल में बड़ी संख्या में विरोध प्रदर्शन हुए थे. पीएम ओली ने अपने इस बयान से इस वर्ग को साधने की कोशिश की है. सत्तारूढ़ नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी के ओली के धड़े वाले एक नेता ने कहा कि यह उनकी सोची समझी रणनीति का हिस्सा है, ताकि भारत के साथ संबंधों को फिर से पटरी पर लाया जा सके.
नेपाल में भारत समर्थक बहुत बड़ी जनसंख्या है और चूंकि उन्होंने चुनाव की घोषणा कर दी है, ऐसे में इस वर्ग को साधना उनकी मजबूरी है. भारत में नेपाल के पूर्व राजदूत लोकराज बरल ने कहा कि ओली ने यह बयान देकर यह संदेश दिया है कि नेपाल और भारत दोनों को एक-दूसरे की जरूरत है. ओली का यह बयान ऐसे समय पर आया है जब नेपाल के विदेश मंत्री और ओली के बेहद करीबी प्रदीप ज्ञवली 14 जनवरी को कोरोना वैक्सीन पर बातचीत के लिए भारत आ रहे हैं. माना जा रहा है कि नेपाल के ताजा राजनीतिक हालात और द्विपक्षीय संबंधों पर ज्ञवली भारतीय नेतृत्व के साथ बात करके समर्थन जुटाने की कोशिश करेंगे. भारत ने नेपाली पीएम के संसद भंग करने के निर्णय को नेपाल का ‘आंतरिक मामला’ बताया है. जबकि, विपक्षी नेपाली कांग्रेस और प्रचंड खेमे ने ओली के कदम को असंवैधानिक बताया है.