
सुख, समृद्धि व संक्रामक रोगों की निवृत्ति के लिए शीतला माता का पूजन करेंगी महिलाएं
जीवन में शीतलता के लिए शीतला माता को लगाएंगी ठंडे भोजन का भोग
शीतला सप्तमी से ग्रीष्म ऋतु में ठंडा भोजन व पेय पदार्थों के सेवन की शुरुआत
मीरजापुर, 14 मार्च . चैत्र मास की कृष्णपक्ष की सप्तमी पर मंगलवार (Tuesday) को महिलाओं ने आस्था के साथ व्रत रखा. बुधवार (Wednesday) को सूर्योदय से पहले स्नान कर माता शीतला का पूजन किया जाएगा.
जीवन में शीतलता व आरोग्यता की कामना से शीतला माता को एक दिन पहले बने ठंडे भोजन का भोग लगेगा. शीतला माता मंदिरों में महिलाएं सामूहिक रूप से आरोग्यता की कामना से जुटेंगी और विधि-विधान से पूजन करेंगी. शीतला अष्टमी पर घरों में चूल्हा नहीं जलेगा. नगरवासी एक दिन पहले बनाया गया ठंडा भोजन प्रसाद स्वरूप ग्रहण करेंगे. आयुर्वेद की मान्यता के अनुसार चैत्र मास ऋतु परिवर्तन का महीना है. शीतला सप्तमी से ग्रीष्म ऋतु में ठंडा भोजन व पेय पदार्थों के सेवन की शुरुआत होती है.
ज्योतिषाचार्य याेगेश देव पांडेय ने बताया कि होली के सातवें और आठवें दिन पूजन की परंपरा है. इसके चलते 14 को सप्तमी और 15 को अष्टमी पूजन किया जाएगा. शीतला माता के पूजन का उल्लेख स्कंद पुराण में भी मिलता है. मान्यता है कि व्रत-पूजन से चेचक जैसी बीमारियां नहीं होती है. शीतला माता का पूजन संक्रमण जनित व्याधि, रक्त में उत्पन्न दोष तथा उदर से संबंधित बीमारियों की निवृत्ति के लिए किया जाता है. ग्रीष्म ऋतु में वात, पित्त तथा कफ भी बढ़ता है. इसके शमन के लिए ठंडा खाने की परंपरा है. इसलिए पौराणिक काल से शीतला सप्तमी के बाद से दही, छाछ, मक्खन तथा शीतल पेय के सेवन की परंपरा है. शीतला माता के पूजन में दही, छाछ से बने व्यंजनों का विशेष महत्व है. सप्तमी के बाद से घरों में पेयजल के लिए मटके रखने की शुरुआत भी हो जाती है.
स्वच्छता की देवी हैं मां शीतला
माता शीतला स्वच्छता की देवी हैं और पर्यावरण को साफ-सुथरा रखने की प्रेरणा देती हैं. ज्याेतिषाचार्य का कहना है कि शीतला अष्टमी पर आस-पास सफाई रखें और संभव हो तो कोई एक पौधा भी लगाएं. इससे पर्यावरण के साथ परिवार में भी शुद्धता बनी रहेगी.
ऐसे करें माता का पूजन
स्नानादि से निवृत्त हो मां शीतला का सुगंधित पुष्प, द्रव्य, इत्र, गंगाजल, रोरी, धूप, दीप (रात्रि पर्यंत जलने वाला दीपक), नैवेद्य आदि से पंचोपचार पूजन करें और शीतल मंत्र ..ॐ ह्रीं श्रीं शीतलाये नमः.. का जप करें. शीतला मंत्र का जप करते समय एक थाली में बासी ठंडा भोजन भात, पूड़ी, दही, चीनी, बाजरा, हल्दी, सौंफ, त्रिफला, आंवला, नारियल, इत्र रख सभी घर के सदस्यों से स्पर्श करा मां शीतला को अर्पित कर प्रसाद के रूप में ग्रहण करें.
शीतलाष्टमी तैयारी को लेकर हुई खरीदारी
शीतला अष्टमी की तैयारी को लेकर खाद्य सामग्री की दुकानों पर मंगलवार (Tuesday) को जमकर खरीदारी हुई. शीतला अष्टमी पर मां शीतला की विधिवत पूजा करने के साथ व्रत रखने का विधान है. माना जाता है कि ऐसा करने से रोग-दोष से छुटकारा मिलने के साथ लंबी आयु का वरदान मिलता है.
शीतलाष्टमी व्रत से प्रसन्न होती हैं मां शीतला, दूर होंगे दोष
ज्योतिषाचार्य याेगेश देव पांडेय ने बताया कि शीतलाष्टमी व्रत करने से व्रती के कुल में दाहज्वर, पीतज्वर, विस्फोटक ज्वर, दुर्गंधयुक्त फोड़े, चेचक, नेत्रों के समस्त रोग, शीतला की फुंसियों के चिह्न तथा शीतलाजनित दोष दूर हो जाते हैं. इस व्रत से शीतला देवी प्रसन्न होती हैं.
/गिरजा शंकर