हिसार : इंतकाल की फीस 300 रुपये, वसूल रहे 400 रुपये

500 रुपये लेकर 100 रुपये वापस देता क्लर्क.

नेशनल आरटीआई अवार्डी रमेश वर्मा ने हिसार (Hisar) तहसील में फैले भ्रष्टाचार का किया खुलासा

डीसी, एसपी व विजिलेंस को भेजी शिकायत

हिसार, 14 मार्च . नेशनल आरटीआई अवार्डी 12 क्वार्टर निवासी रमेश वर्मा ने एक स्टिंग ऑपरेशन करके हिसार (Hisar) के तहसील कार्यालय में इंतकाल के नाम पर निर्धारित 300 रुपये के शुल्क के स्थान पर जबरदस्ती 400 रुपये वसूलने के मामले का खुलासा किया है. मंगलवार (Tuesday) को उन्होंने इस बारे में विजिलेंस के पुलिस (Police) महानिदेशक, हिसार (Hisar) उपायुक्त व हिसार (Hisar) के पुलिस (Police) अधीक्षक को शिकायत भी कर दी है. जांच के दौरान मांगने पर पूरे घटनाक्रम की वीडियो भी उपलब्ध करवाने के लिए कहा है.

अपनी शिकायत में उन्होंने मंगलवार (Tuesday) को कहा कि पिताजी के देहांत के बाद सोमवार (Monday) 13 मार्च को अपने मकान के इंतकाल के लिए शपथ-पत्र तैयार करवाया, उसको अपने साथी एडवोकेट कुमार मुकेश के माध्यम से तहसील में शपथ पत्र सत्यापित करवाया. इसके बाद शपथ-पत्र को तहसीलदार से सत्यापित करवाया और फिर दोपहर करीब तीन बजे कमरा नंबर 110 के बाहर बनी खिड़की पर इंतकाल दर्ज करने की कार्रवाई के लिए गया तो वहां पर करीब डेढ़ घंटे तक इंतजार करवाया. यह भी कहा कि आज आपका काम नहीं हो पाएगा. इसके बाद बारी का इंतजार किया और करीब डेढ़ घंटे बाद बारी आई. वहां पर बैठे कर्मचारी ने कंप्यूटर से फोटो ली और 400 रुपये मांगे और फिर 300 रुपये की रसीद दे दी. रसीद पर हस्ताक्षर के स्थान पर सुरेश 10 की आईडी लिखी हुई है. हालांकि तहसील से जानकारी ली तो अधिकर लोगों ने संबंधित क्लर्क का नाम भी सुरेश ही बताया.

जब क्लर्क से कहा कि सरकारी फीस तो 300 रुपये है तो उसने कहा कि 100 रुपये रपट की फीस है और 400 रुपये ही लगते हैं. उन्होंने बताया कि इस पूूरी बातचीत की उन्होंने अपने मोबाइल से वीडियो रिकॉर्डिंग कर ली और बाद में तुरंत उपायुक्त कार्यालय में जाकर शिकायत कर दी और विजिलेंस पुलिस (Police) महानिदेशक तथा हिसार (Hisar) पुलिस (Police) अधीक्षक को स्पीड पोस्ट से शिकायत भेज दी. इंतकाल के इस कार्य के लिए रमेश वर्मा के साथ वार्ड नंबर 6 के पार्षद उमेद खन्ना साथ गए लेकिन यह सारा वाक्या उनके जाने के बाद हुआ. क्लर्क ने सबसे पहले कंप्युटर के माध्यम से पार्षद की फोटो ली और उनको भेज दिया.

रमेश वर्मा ने बताया कि विंडो नंबर 110 में कागजात जमा करवाने से पूर्व शपथ पत्र का सत्यापन एडवोकेट कुमार मुकेश की मौजूदगी में विंडो नंबर 102 में करवाया गया था. यहां पर बैठे क्लर्क ने उनकी और एडवोकेट की फोटो ली और फिर बीस रुपये की फीस मांगी. मौके पर फीस से संबंधित कोई नोटिस चस्पा नहीं है लेकिन बाद में जब जानकारी हासिल की तो पता चला कि इस कार्य के लिए दस रुपये फीस निर्धारित है.

/राजेश्वर