
काठमांडू, 9 मार्च . नेपाल की सरकार ने आज (गुरुवार (Thursday) ) को प्रतिनिधि सभा में सत्य निरूपण और सुलह आयोग पर संशोधित विधेयक लाने का निर्णय लिया है. आज सुबह सिंह दरबार में हुई कैबिनेट की बैठक में इससे संबंधित फैसला लिया गया.
यह मामला दस साल की माओवादी हिंसक गतिविधियों की जांच, मानवाधिकार उल्लंघन के मामले में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई और संघर्ष के विभिन्न पक्षों के बीच सुलह से जुड़ा है. यद्यपि वर्ष 2006 में एक शांति समझौता हुआ था, यह कहा गया था कि माओवादियों की सशस्त्र गतिविधियों में मारे गए, लापता और गंभीर मानवाधिकारों के उल्लंघन के मामलों की जांच और रिपोर्ट करने के लिए अलग आयोग का गठन किया जाएगा, लेकिन उस आयोग का काम आगे नहीं बढ़ा.
प्रधानमंत्री एवं सीपीएन (एमसी) अध्यक्ष पुष्प कमल दहल प्रचंड के खिलाफ 7 मार्च को सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) में तीन साल पहले की याचिका दर्ज होने के बाद सरकार ने कैबिनेट से सत्य निरूपण और सुलह आयोग पर संशोधित कानून दर्ज करने का फैसला किया है.
प्रधानमंत्री प्रचंड द्वारा सशस्त्र संघर्ष के दौरान 5000 लोगों कीहत्या (Murder) की जिम्मेदारी लेने के बयान को लेकर आज कोर्ट में सुनवाई होगी. संसद में विधेयक के पंजीकरण के लिए पहले से तैयारी की जा चुकी है.
/ दीपेश