
हरिद्वार (Haridwar) , 12 मार्च . अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष व पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज ने कहा कि श्रीराम कथा के श्रवण से व्यक्ति में उत्तम चरित्र का निर्माण होता है. प्रभु श्रीराम की पावन कथा व्यक्ति का जीवन भवसागर से पार लगाती है.
भारत माता पुरम स्थित शाश्वतम आश्रम में श्रीराम कथा का शुभारंभ अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी एवं महामंडलेश्वर स्वामी उमाकांतानंद सरस्वती ने सामूहिक रूप से दीप प्रज्वलन कर किया.
कथा का महत्व बताते हुए अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज ने कहा कि जिस प्रकार से प्रभु राम ने अनेक कठिनाइयों का सामना करते हुए अपने विवेक का परिचय देते हुए बुराई का अंत किया उसी प्रकार से हमें भी अपने भीतर के अहम का अंत कर प्रभु की भक्ति में लीन रहना चाहिए. मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की कथा समस्त कष्टों का निवारण कर व्यक्ति को उन्नति की ओर अग्रसर करती है.
कथा व्यास महामंडलेश्वर स्वामी उमाकांतानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि जिस जगह श्रीराम कथा का आयोजन होता है वहां स्वयं हनुमान जी विराजमान रहकर भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं. प्रभु श्रीराम की कथा हमें जीवन जीने की कला सिखाती है. वास्तव में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के चरित्र से हम सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए और अपने परिवार और समाज के प्रति समर्पित रहकर राष्ट्र को उन्नति की ओर अग्रसर करने में अपनी सहभागिता को सुनिश्चित करना चाहिए. उन्होंने कहा कि हमें अपने बच्चों को संस्कार बनाकर धार्मिक आयोजनों में सम्मिलित होने के लिए प्रेरित करना चाहिए ताकि हमारी संस्कृति और धर्म का बोध उन्हें हो सके और हमारी परंपराओं का पालन भली-भांति हो सके. जिससे कि पाश्चात्य संस्कृति हमारे देश में हावी ना हो सके.
पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि सौभाग्यशाली व्यक्ति को ही कथा श्रवण का अवसर प्राप्त होता है. जन्म जन्मांतर के पापों का शमन कथा के माध्यम से हो जाता है और व्यक्ति प्रभु के शरणागत होकर अपने मोक्ष का मार्ग प्रशस्त करता है. इस अवसर पर कार्यक्रम संयोजक डॉ जितेंद्र सिंह, सुरेश रामवन, विमल कुमार, बेगराज सिंह, नवनीत कंसल, राकेश बुद्धेश्वर दीपक वैद्य भी उपस्थित रहे.
/ रजनीकांत