नई दिल्ली, 26 अक्टूबर . दिल्ली उच्च न्यायालय ने नौकरशाही फेरबदल के तहत केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के अध्यक्ष के रूप में वरिष्ठ आईएएस अधिकारी निधि छिब्बर की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है.
इंडिपेंडेंट स्कूल फेडरेशन ऑफ इंडिया द्वारा दायर याचिका में आरोप लगाया गया था कि छिब्बर सीबीएसई अध्यक्ष पद के लिए आवश्यक नियमों और शर्तों को पूरा नहीं करती हैं.
न्यायमूर्ति चंद्र धारी सिंह ने इस दावे को खारिज कर दिया और कहा कि याचिकाकर्ता द्वारा प्रथम दृष्टया कोई मामला नहीं बनाया गया है.
न्यायमूर्ति सिंह ने कहा कि याचिका “कानून की प्रक्रिया का घोर दुरुपयोग” है.
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि अदालत इस मामले में अधिकार वारंट जारी करने की इच्छुक नहीं है, क्योंकि छिब्बर केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष पद के लिए आवश्यक योग्यताएं पूरी करती हैं.
याचिकाकर्ता फेडरेशन ने न केवल छिब्बर की नियुक्ति को चुनौती दी थी, बल्कि उन्हें पद से हटाने की भी मांग की थी. उन्होंने भूमिका के लिए उनकी पात्रता और अनुभव से संबंधित रिकॉर्ड प्रस्तुत करने का अनुरोध किया.
जवाब में, छिब्बर ने एक हलफनामा पेश किया, जिसमें कहा गया कि उन्होंने शिक्षा विभाग में निदेशक और उससे ऊपर के कैडर में 48 महीने तक काम किया है.
उनके वकील ने तर्क दिया कि याचिका में लगाए गए आरोप गलत हैं, और वह पद के लिए 2015 के रिक्ति परिपत्र में उल्लिखित योग्यता और अनुभव मानदंडों को पूरा करती हैं.
छिब्बर के हलफनामे और कार्यकारी रिकॉर्ड शीट की समीक्षा करने के बाद अदालत ने पाया कि वह इस पद के लिए आवश्यक मानदंडों को पूरा करती हैं.
इसने स्पष्ट किया कि अधिकार वारंट की रिट तब जारी की जाती है जब किसी सार्वजनिक पद पर बैठे व्यक्ति के पास उस पद के लिए आवश्यक योग्यताओं का अभाव पाया जाता है. इस मामले में, छिब्बर को इस भूमिका के लिए योग्य माना गया.
न्यायमूर्ति सिंह ने निष्कर्ष निकाला कि याचिका कानूनी प्रक्रिया का दुरुपयोग थी और बाद में किसी भी लंबित आवेदन के साथ याचिका को खारिज कर दिया.
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एकेजे