



















शिमला, 14 मार्च . हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh)की 14वीं विधानसभा के पहले बजट सत्र की हंगामेदार शुरुआत हुई है. पहले दिन मंगलवार (Tuesday) को विपक्षी दल भाजपा विधायकों के कड़े तेवर देखने को मिले और वॉकआउट एवं नारेबाजी के बाद उन्होंने सदन से वॉकआउट कर दिया. भाजपा ने यह हंगामा प्रदेश सरकार द्वारा विधायक क्षेत्र विकास निधि जारी नहीं किए जाने के मुद्दे पर किया.
दरअसल, सदन में शोकोद्गार खत्म होते ही विपक्ष ने नियम 67 के तहत काम रोको प्रस्ताव का मामला उठाया और विधानसभा अध्यक्ष से विधायक क्षेत्र विकास निधि के मुद्दे पर तुरंत चर्चा की मांग की.
नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने सरकार पर नियम 67 के तहत उठाए गए विधायक क्षेत्र विकास निधि को मुद्दे को राजनीतिक रंग देने का आरोप लगाते हुए कहा कि प्रदेश की वित्तीय स्थिति न तो हमारे समय में अच्छी थी और न ही आज अच्छी है. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में भी स्थिति अच्छी होने की उम्मीद नहीं है. इसके बावजूद जनहित के काम नहीं रुकने चाहिए और विपक्ष जनहित में विधायक क्षेत्र विकास निधि जारी करने की मांग कर रहा है. उन्होंने यह भी कहा कि विधायक क्षेत्र विकास निधि हर विधायक का अधिकार है और सरकार इसे तुरंत बहाल करे.
जयराम ठाकुर ने कहा कि सुक्खू सरकार में सब जगह बंद-बंद का काम चल रहा है. ऐसे में अब सरकार को कहीं कुछ तो खोलना चाहिए. उन्होंने कहा कि पूर्व भाजपा सरकार ने कोविड काल में भी विधायक निधि बंद नहीं की और इसे बढ़ाकर दो करोड़ तक पहुंचा दिया. उन्होंने सरकार पर कर्ज को लेकर झूठ बोलने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि वर्ष 2012 से 2017 के बीच कांग्रेस सरकार ने 27 हजार करोड़ रुपए का कर्ज लिया और प्रदेश पर कर्ज को बढ़ाकर 48 हजार करोड़ रुपए तक पहुंचा दिया.
इससे पूर्व, विधायक विपिन सिंह परमार ने काम रोको प्रस्ताव का मुद्दा उठाते हुए कहा कि सरकार ने न केवल विधायक क्षेत्र विकास निधि को बंद कर दिया है, बल्कि पिछड़ा क्षेत्र उपयोजना सहित कई अन्य योजनाओं के लिए आवंटित धन को भी सरकार ने वापस ले लिया है. उन्होंने कहा कि विधायक क्षेत्र विकास निधि का बजट में प्रावधान है. ऐसे में इस निधि का पैसा रोकना सरासर गलत है.
भाजपा विधायक रणधीर शर्मा ने कहा कि विधायक क्षेत्र विकास निधि का मामला प्रदेश के विकास से जुड़ा है. उन्होंने कहा कि मौजूदा वित्त वर्ष के लिए विधायक क्षेत्र विकास निधि का बजट में प्रावधान है और इसकी तीन किस्तें जारी भी हो चुकी हैं. ऐसे में सरकार स्पष्ट करे कि उसने चौथी किस्त क्यों रोकी है.
इस दौरान सदन में कई बार हंगामापूर्ण स्थिति बनी और सत्तापक्ष तथा विपक्ष ने एक दूसरे के खिलाफ नारेबाजी भी की. मुख्यमंत्री (Chief Minister) सुक्खू द्वारा इस मुद्दे पर दिए गए जवाब से असंतुष्ट होकर पूरा विपक्ष नारेबाजी करते हुए सदन से वाकआउट कर बाहर चला गया.
इससे पहले विपक्ष के काम रोको प्रस्ताव को खारिज करते हुए विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने कहा कि भाजपा के विपिन परमार, रणधीर शर्मा और बिक्रम सिंह के इस मुद्दे पर प्रश्न लगे हैं. ऐसे में विपक्ष प्रतिपूरक प्रश्नों के माध्यमों से सरकार से जवाब मांग सकता है. उन्होंने कहा कि ऐसे में इस मुद्दे पर नियम 67 के तहत चर्चा करने का कोई औचित्य नहीं बनता और वह विपक्ष के प्रस्ताव को निरस्त करते हैं.
/उज्ज्वल