गांधीसागर बर्ड सर्वे में लुप्त या संकटग्रस्त प्रजाति के पक्षी भी मिले

गांधीसागर बर्ड सर्वे में लुप्त या संकटग्रस्त प्रजाति के पक्षी भी मिले

मंदसौर, 13 मार्च . गांधी सागर के तीन दिवसीय बर्ड सर्वे में नौ राज्यों से आए पचास जानकारों की टीम ने बर्ड सर्वे किया. जिसमें सामने आया कि ब्लैक बेलीड बेलीड टर्न लुप्तप्राय हो गया है तो वहं ग्रेटर स्पॉटेड ईगल की प्रजाति भी संकट में है. लेकिन गांधी सागर में यह प्रजापति भी मिली है. इसके अलावा अच्छी बात यह है कि गांधी सागर में गिद्धों की सभी प्रजातियां मिली है. जिसमें यूरेशियन भी दिखा है. सर्वे में कुल मिलाकर पक्षियों की 215 प्रजातियां मिली है.

जिले के गांधीसागर अभयारण्य में तीन दिवसीय बर्ड सर्वे रविवार (Sunday) को पूरा हुआ. देशभर के 7 राज्यों से पहुंचे विशेषज्ञों ने यहां तैयार किए गए अलग-अलग रुट पर पक्षियों को लेकर सर्वे किया. इनके साथ स्थानीय अमले के साथ रुट पर बर्ड सर्वे में भाग लिया. विशेषज्ञों ने अपनी रिपोर्ट में गांधीसागर अभयारण्य को पक्षियों के लिए अनुकूल बताया. यहां कई विलुप्त होती प्रजातियों के पक्षी भी पाए गए. हालांकि गत वर्ष सर्वे में जहां 250 से अधिक प्रजातियां यहां पाई गई थी. वहीं इस बार प्रारंभिक रिपोर्ट में सिर्फ 215 पक्षियों की प्रजातियां ही आई है, लेकिन इसके पीछे विशेषज्ञों ने तर्क दिया कि जो राष्ट्रीय स्तर के अभयारण्य है उनमें भी इस बार कम है. अक्टूबर तक बारिश होती रही इसलिए सभी जगहों पर मौसम पक्षियों के अनुकूल होने के साथ पानी की उपलब्धता है. इसलिए यहां कम पक्षी इस बार पहुंचे है. गांधीसागर में हुए बर्ड सर्वे की अभी एक सप्ताह में वास्तविक रिपोर्ट तैयार होगी. विभागीय अधिकारियों ने बताया कि देश में गुम होती प्रजातियों के पक्षी जब विशेषज्ञों को यहां दिखे तो वह रोमांचित हो गए अब फोटो के आधार पर अध्ययन किया जाएगा. गांधीसागर में बर्ड सर्वे में देशभर की राष्ट्रीय स्तर के अभयारण्य क्षेत्र से भी विशेषज्ञ पहुंच रहे है और रुचि ले रहे है.

बर्ड विशेषज्ञ रितेश खाबिया, स्वप्रिल फणसे ने बताया कि ब्लैक बेलीड टर्न (स्र्टा एक्यूटिकाउडा) भारतीय उपमहाद्वीप की नदियों के पास पाया जाने वाला एक टर्न है. इसकी सीमा पाकिस्तान,नेपाल और भारत म्यांमार तक फैली है. यह अपनी सीमा के पूर्वी भाग में बहुत दुर्लभ हो गया है. यह बहुत कम स्थानों पर एक दो की संख्या में ही दिखाई देती है. इसलिए प्रकृति के संरक्षण के लिए अंतर्राष्ट्रीय संघ के संरक्षण के िलए अंतर्राष्ट्रीय संघ ने इसके लुप्तप्राय होने ेा आकलन किया है. इसका आवास लगभग सात सौ तीस मीटर की ऊंचाई पर तराई की नदियों व दलदल में रहता है. यह पूरी तहर से अंतर्देशीय प्रजाति है और तट पर नहीं पाई जाती है.

गिद्धों की यूरेशियन प्रजाति भी दिखी

बर्ड विशेषज्ञों के अनुसार गांधी सागर गिद्धों के आवास के लिए बहुत ही अच्छी स्थान बन रहा है. खास बात यह है कि यहां गिद्ध की सभी रेड हेडेड वल्चर, इजिप्शियन वल्चर, इंडियन वल्चर, व्हाइट रंपड वल्चर, हिमालयन ग्रिफोन वल्चर, यूरेशियन गिफ्रॉन वल्चर, सिनेरियस वल्चर, प्रजातियां पाई जाती है. यह गिद्ध तुर्की, सीरिया, ईरान, साउ करागिस्तान, तजागिस्तान, मंगोलिया जैसे देशों में पाया जाता है. ये सौ से एक सौ दस सेमी तक का होता है. यह समुद्र तल से 910 मीटर क एवं ग्रीष्म में तीन हजार मीटर तक की ऊंचाई तक मिलते हैं. यह हर साल इस समय दो से तीन हजार किमी का सफर तय कर गांधी सागर आते हैं.

7 राज्यों से आए 56 विशेषज्ञों ने तीन दिन तक किया बर्ड सर्व

गांधीसागर अभयारण्य में तीन दिवसीय पक्षी गणना रविवार (Sunday) को पूरी हुई. देश के विभिन्न 7 राज्यों से आए 56 विशेषज्ञों ने सर्वे किया. सुबह 6 बजे से 10 बजे तक व शाम को 4 बजे से 7 बजे तक बनाए गए 23 से अधिक रुट पर दो पारियों में ई एप के जरीए सर्वे किया गया और उनकी प्रजातियों के बारें में अध्ययन किया गया. इसमें 215 विभिन्न प्रजातियों के पक्षियों की गणना की गई है. जबकि मार्च 2022 में हुई गणना में 250 तो फरवरी 2021 में की गई गणना मे 236 प्रजाति पक्षियों की गणना की गई थी. प्रदेश के अलावा राजस्थान, छत्तीसगढ़, कलकत्ता के अलावा अन्य राज्यों से विशेषज्ञ आए थे.

215 पक्षियों की प्रजाती, अभी एक सप्ताह में आएगी वास्तवितक रिपोर्ट

गांधीसागर में चल रहे इस बर्ड सर्वे में विशेषज्ञों के अलावा स्थानीय स्तर के वनविभाग के स्टॉफ ने चयनीत एव निर्धारित रूट पर सर्वे कार्य किया है. अभी गणना में 215 प्रजाति के पक्षियो की गणना के आंकडे सामने आए है. लेकिन एक सप्ताह में वास्तविक गणना रिपोर्ट इनके द्वारा तैयार कर दी जाएगी. इसमें पक्षियों की प्रजाति के अनुसार उनकी संख्या भी होगी. साथ ही विलुप्त प्रजाति का भी इसमें जानकारी दी जाएगी. तीन दिनों तक चल सर्वे में गणना के अलावा अभयारण्य में पक्षियों के अनुकूल माहौल बनाने के लिए जरुरतों को भी देखा गया. रिपोर्ट के आधार पर इस पर काम होगा.

/अशोक झलौया