नई दिल्ली, 26 अक्टूबर . सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे का कहना है कि इंडो-पैसिफिक में हमें बड़ी भूमिका निभानी है. एलएसी पर चीन के साथ मौजूदा विवाद के बीच सेना प्रमुख का कहना है कि नियंत्रण रेखा पर स्थिति स्थिर बनी हुई है. भारतीय सेना मजबूती के साथ खड़ी है. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सुरक्षाबलों को किसी भी चुनौती से निपटने के लिए तैयार रहना चाहिए.
सेना प्रमुख ने गुरुवार को कहा कि हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चुनौतियां होंगी और यहां भारत की अहम भूमिका होगी. वह गुरुवार को दिल्ली में प्रथम ‘चाणक्य डायलॉग’ की शुरुआत के अवसर पर बोल रहे थे.
उन्होंने बताया कि हमने 45 विशिष्ट प्रौद्योगिकियों की पहचान की है और 120 स्वदेशी परियोजनाएं चला रहे हैं. सेना प्रमुख का कहना है कि हमारा 5जी परीक्षण 70 प्रतिशत तैयार है. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि हमने ड्रोन की एक श्रृंखला शामिल की है. सेना में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स पर ध्यान दिया जा रहा है. सेना सर्विलेंस, इमेज इंटरसेप्शन, फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम पर काम कर रही है.
सेना प्रमुख ने प्रौद्योगिकी को युद्ध के साधन के रूप में देखते हुए, टेक्नोलॉजी में हो रहे परिवर्तन और परिवर्तन की आवश्यकता के बारे में बात की. जनरल पांडे ने नई प्रौद्योगिकी, विशेष रूप से विशिष्ट प्रौद्योगिकी के उद्भव के बारे में बात की और बताया कि टेक्नोलॉजी युद्ध को कैसे प्रभावित करेगी.
उन्होंने कहा कि युद्ध के बदलते चेहरे में अब सूचना और साइबर युद्ध भी शामिल हैं. जनरल पांडे ने कहा कि आधुनिकीकरण हमारी प्रगति की कुंजी होगी और हम विशिष्ट प्रौद्योगिकी को शामिल कर रहे हैं.
सेना प्रमुख के मुताबिक पिछला एक साल चुनौतीपूर्ण रहा लेकिन सीमा पर स्थिति स्थिर है. उन्होंने बताया कि पिछले साल, यानी बल-पुनर्गठन, आधुनिकीकरण और प्रौद्योगिकी, युद्ध की तैयारी और संयुक्तता और मानव संसाधन प्रबंधन जैसे परिवर्तनों का रोडमैप तैयार किया गया है.
समुद्र या जमीन पर युद्ध के बारे में पूछे जाने पर जनरल पांडे ने कहा कि भूमि क्षेत्र युद्ध का प्रमुख क्षेत्र बना रहेगा. उन्होंने कहा कि जीत के निशान भूमि क्षेत्र में होंगे.
–
जीसीबी/एबीएम