
प्रयागराज, 13 मार्च . एक्यूप्रेशर में चुम्बक के माध्यम से विश्लेषण करके इलाज किया जाता है. बीमारी की पहचान के लिए होलिस्टिक एप्रोच अपनायी जाती है. जन मानस के हाथों में ही सम्पूर्ण शरीर का सॉफ्टवेयर होता है, जिसके माध्यम से सम्बंधित अंग पर चुम्बक से संदेश भेजकर बीमारी को ठीक कर दिया जाता है.
यह बातें एक्यूप्रेशर विशेषज्ञ एवं संस्थान के अध्यक्ष व मुख्य वक्ता जेपी अग्रवाल ने सीनियर सिटीजनस काउन्सिल प्रयागराज (Prayagraj)द्वारा ’एक्यूप्रेशर’ विधा पर एक्यूप्रेशर शोध प्रशिक्षण एवं उपचार संस्थान छतनाग, झूसी में एक संगोष्ठी सम्बोधित करते हुए कही. उन्होंने यह भी कहा कि इलाज में भारतीय आरोग्य विधा आयुर्वेद का भी सहारा भी लिया जाता है. उन्होंने कहा कि यह देखने में आया है कि बड़े बड़े लोग जब अन्य सभी इलाज की विधाओं से थक जाते हैं, तो एक्यूप्रेशर की ओर आते है और हम ठीक कर देते हैं. एक्यूप्रेशर में कोई दवाई नहीं खिलाई जाती है. उन्होंने दावा किया कि हम कैंसर-टीबी जैसी असाध्य कही जाने वाली बीमारी का भी पूर्वानुमान लगा लेते हैं और तत्पश्चात इलाज भी प्रारम्भ कर देते हैं. उन्होने समाज में आ रही विसंगतियों की ओर भी ध्यान आकर्षित किया.
संस्थान के निदेशक ए.के द्विवेदी ने एक्यूप्रेशर की विधा को स्पष्ट करते हुए कहा कि इसमें उपचार कैसे, क्या, कब और किस प्रकार दिया जाये, इसका निर्णय बीमारी का कारण एवं लक्षण के आधार पर किया जाता है. उपचार के लिए शरीर के विद्यमान चेतन बिन्दु का पता लगाकर ऊर्जा के असन्तुलन को सन्तुलित किया जाता है. सम्पूर्ण इलाज शरीर की वैज्ञानिक संरचना के आधार पर होता है.
संगोष्ठी की अध्यक्षता काउन्सिल अध्यक्ष राजीव महेश्वरी ने की. उन्होंने गोष्ठी में आए सदस्यों का स्वागत किया. न्यायमूर्ति राजेश कुमार ने आयोजन के उद्देश्य पर प्रकाश डाला. उपाध्यक्ष नरेश रॉय ने स्मृति चिन्ह भेंट करने के साथ धन्यवाद ज्ञापित किया. संस्था के सचिव सीए (डॉ) नवीन चन्द्र अग्रवाल ने कार्यक्रम का संचालन किया और कहा कि चर्चा में स्वास्थ्य का सत्य सामने रखा गया है.
/विद्या कान्त