

कानपुर,13 मार्च . उप्र के औद्योगिक नगरी कानपुर (Kanpur) के ऐतिहासिक होली गंगा मेला में सोमवार (Monday) सुबह ध्वजारोहरण के बाद खूब अबीर-गुलाल उड़ रहा है. महानगर वासी एक बार फिर रंगों से सराबोर हो गए. शहर में विभिन्न स्थानों पर अबीर, गुलाल के साथ रंगों की फुहार से मेले में पहुंचे लोग रंगीन हो गए.
कानपुर (Kanpur) के ऐतिहासिक गंगा मेला सोमवार (Monday) सुबह लगभग 10 बजे जिलाधिकारी विशाख जी. ने ध्वजारोहण कर रंगोत्सव का श्रीगणेश किया. इसके बाद लोग एक दूसरे गले मिलकर रंग खेलना शुरू किया.
होली गंगा मेला के इसी ऐतिहासिक कड़ी में होलियारों की टोली भैंसा ठेला पर सवार होकर रंग गुलाल उड़ाते हुए निकले. इस दौरान बच्चों एवं महिलाओं ने रंगों से स्वागत करते हुए सराबोर कर दिया. फूलों की भी बारिश की गई. लगभग छह किमी के दायरे में जुलूस की शक्ल में होली के रंग में झूमते रहे. मेला ऐतिहासिक होने की वजह से पीएसी बैंड भी शामिल हुआ. औद्योगिक नगरी में बीते 83 वर्ष से यह परंपरा चली आ रही है.
होली गंगा मेला में भैंसा ठेला, ट्रैक्टर ट्राली, टेम्पो और ऊंट पर सवार होकर हुरियारे रंग बरसाते निकले. हाई प्रेशर पिचकारियों से ठेले पर बैठे हुरियारे रंग बरसा रहे हैं. ये लोग हटिया, गयाप्रसाद लेन, मूलगंज, शिवाला, रामनारायण बाजार चौराहा, कमला टॉवर, चटाई मोहाल, सिरकी मोहाल, बिरहाना रोड, नयागंज, जनरलगंज होते हुए हटिया वापस लौटेगा.
ज्ञानेंद्र विश्नोई ने बताया कि वैसे तो हमारा देश 1947 में आजाद हुआ था, लेकिन 1942 में होली के पर्व के दौरान रोक लगाए जाने पर हमारे नव युवकों ने कहा कि यह हमारा धार्मिक त्योहार है. इसके चलते उनके द्वारा होली खेलने का निर्णय लिया गया. इस पर ब्रिटिश सरकार ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था. होली के पांचवें दिन अनुराधा नक्षत्र के मौके पर सभी 47 लोगों को जेल से छोड़ दिया गया था. इसके बाद पूरे कानपुर (Kanpur) में उत्सव का माहौल बन गया. सभी ने जमकर होली खेली. भैंसा गाड़ी में रंगों का ठेला निकाला गया. बाजारों से होता हुआ रंगों का ठेला गंगा किनारे स्थित सरसैया घाट पर खत्म हुआ. उस दिन रात तक लोग खुशियां मनाकर एक-दूसरे से मिलते रहें. तभी से इस उत्सव को गंगा मेला नाम दिया गया. तब से आज तक इस महोत्सव को धूमधाम से मनाया जाता है.
उल्लेखनीय है कि होली के बाद गंगा मेला में कानपुरवासी रंगों में सराबोर हो जाते हैं. इस दिन होली से ज्यादा रंग खेला जाता है और शाम को सरसैया घाट पर मेला लगता है, जहां राजनीति से लेकर सभी लोग गिले-शिकवे भुलाकर गले मिलते हैं और एक-दूसरे को बुधाई देते हैं. गंगा मेला को लेकर जिला व पुलिस (Police) प्रशासन द्वारा भी विशेष इंतजाम किए जाते हैं.
/राम बहादुर