दोहा . खाड़ी देश कतर को फीफा वर्ल्ड कप की मेजबानी के मिलने के बाद इसकी तैयारियों में पिछले एक दशक में यहां कम से कम 6500 विदेशी कामगारों की मौत हो चुकी है. मरने वाले कामगारों में सबसे अधिक संख्या भारत, पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश और श्रीलंका से गए लोगों की है. एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि दिसंबर 2010 में जब कतर को 22वें फीफा वर्ल्डकप के लिए चुना गया था तब से लेकर अब तक इन देशों के लगभग 12 लोगों की मौत हर हफ्ते हुई है.
सबसे ज्यादा श्रमिकों की मौत ऊंचाईयों पर काम करते समय गिरने के कारण हुई है. कई मजदूरों की तो ऊंचाई से लटकने के कारण सांस फूलने से मौत हो गई. अधिकतर मौतें हॉर्ट फेल होने या दम घुटने से हुई हैं. रिपोर्ट के अनुसार, मरने वालों में भारतीय, नेपाली और बांग्लादेशी श्रमिकों की संख्या 69 फीसदी के आसपास है. कतर में श्रमिकों की मौत के बाद शवों का पोस्टमॉर्टम तक केवल दिखावे के लिए किया जाता है. ऐसे में मौत के कारण का पता लगाना बहुत मुश्किल है. गार्डियन ने कतर के सरकारी सोर्स का हवाला देकर दावा किया है कि इन लोगों की मौत फुटबाल वर्ल्डकप के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर को बनाते समय हुई है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि प्रवासी श्रमिकों की मौत का यह आंकड़ा इससे कहीं अधिक हो सकता है. क्योंकि, इन आंकड़ों में फिलिपींस और केन्या सहित कई ऐसे देशों को शामिल नहीं किया गया हैं जहां के लाखों लोग कतर में नौकरी करते हैं. कतर में पिछले 10 साल में लगभग 28 लाख प्रवासी मजदूरों ने फुटबॉल के 7 नए स्टेडियमों का निर्माण किया है. 2022 गर्मियों में आयोजित होने वाले दुनिया के सबसे प्रसिद्ध खेल के प्रेमियों को स्वर्ग की अनुभूति देने के लिए नया मेट्रो, एयरपोर्ट, मोटरवे यहां तक कि एक नया शहर भी बसाया गया है. कतर में लगभग 20 लाख प्रवासी मजदूर काम करते हैं, जिनमें अधिकतर लोग दक्षिण एशिया, अफ्रीका और पूर्वी एशिया के रहने वाले हैं.
खाड़ी देशों में श्रम अधिकारों को लेकर काम करने वाले फेयरस्केयर प्रोजेक्ट्स के निदेशक निक मैकगिहान ने कहा कि इस निर्माण कार्य में मजदूरों की हुई मौत को उनके काम के हिसाब से बांटा नहीं गया है, फिर भी संभावना जताई जा रही है कि अधिकतर श्रमिकों की मौत वर्ल्ड कप के लिए निर्माण करते समय हुई है. उन्होंने कहा कि 2011 के बाद से कतर में बड़े पैमाने पर प्रवासी श्रमिकों की मौत हुई है.