नई दिल्ली . अमेरिकी थिंक टैंक ‘फ्रीडम हाउस’ ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि भारत में लोगों की स्वतंत्रता पहले से कुछ कम हुई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत एक ‘स्वतंत्र’ देश से ‘आंशिक रूप से स्वतंत्र’ देश में बदल गया है. दरअसल इस रिपोर्ट में ‘पॉलिटिकल फ्रीडम’ और ‘मानवाधिकार’ को लेकर कई देशों में रिसर्च की गई थी. रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा है कि साल 2014 में भारत में सत्तापरिवर्तन के बाद नागरिकों की स्वतंत्रता में गिरावट आई है.
‘डेमोक्रेसी अंडर सीज’ (Democracy under Siege) शीर्षक वाली इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत की स्थिति में जो तब्दीली आई है, वह वैश्विक बदलाव का ही एक हिस्सा है. रिपोर्ट में भारत को 100 में से 67 नंबर दिए गए हैं. जबकि पिछले वर्ष भारत को 100 में से 71 नंबर दिए गए थे.
फ्रीडम हाउस की ओर से कहा गया है कि 2014 के बाद से भारत में मानवाधिकार संगठनों पर दबाव काफी बढ़ गया है. राजद्रोह कानून और मुसलमानों पर हमलों का उल्लेख करते हुए लिखा गया है कि देश में नागरिक स्वतंत्रता के हालत में गिरावट देखी गयी है.
NEW REPORT: Freedom in the World 2021 marks the 15th consecutive year of global democratic decline — with less than a fifth of the world’s population living in Free countries. #FreedomInTheWorld https://t.co/RMFhagNlGE pic.twitter.com/mgUTNfwHdU
— Freedom House (@freedomhouse) March 3, 2021
रिपोर्ट में भारत के अंक कम करने के पीछे का कारण सरकार और उसके सहयोगी पार्टियों की ओर से आलोचकों पर शिकंजा कसना बताया गया है. नागरिक स्वतंत्रता की रेटिंग में सबसे बड़े लोकतंत्र भारत को पिछले साल के 60 में से 37 नबंर के मुकाबले इस साल 60 में से 33 नंबर दिए गए हैं. जबकि भारत में राजनीतिक अधिकारों पर दोनों सालों का स्कोर 40 में से 34 ही रहा है.
इस रिपोर्ट में पिछले साल कोरोना (Corona virus) की रोकथाम के लिए भारत सरकार की ओर से लगाए गए लॉकडाउन (Lockdown) की भी चर्चा की गई है. इसमें लिखा है कि सरकार की ओर से पिछले साल लागू किया गया लॉकडाउन (Lockdown) खतरनाक था. इस दौरान लाखों प्रवासी मजदूरों को पलायन का सामना करना पड़ा.
गौरतलब है कि ‘फ्रीडम इन द वर्ल्ड’ राजनीतिक अधिकारों और नागरिक स्वतंत्रता पर एक वार्षिक वैश्विक रिपोर्ट है. इस रिपोर्ट में 1 जनवरी 2020 से लेकर 31 दिसंबर 2020 तक 25 बिंदुओं को लेकर 195 देशों और 15 प्रदेशों पर शोध की गई. बड़ी बात यह है कि रिपोर्ट में शामिल 195 देशों में से के दो को ही सकारात्मक रेटिंग दी गई.